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तन्हां

 मैं तन्हां तन्हां फिरती हूँ  याद तुम्हें ही करती हूँ.... . रुखसत सी हो जाती हूँ  यादों में खो जाती हूं  साथ तुम्हें मैं पाती हूं  पर देखना तुमको पाती हूँ , मैं तन्हां तन्हां फिरती हूँ  याद तुम्हें ही करती हूँ ... .... तन्हाइयों में गुम हो जाती हूँ ख्यालों में खो जाती हूँ  एहसास सा मैं पाती हूँ  पर फिर मायूस हो जाती हूं , मैं तन्हां तन्हां फिरती हूँ  याद तुम्हें ही करती हूँ ..... ये सांसे तेरी धुन गाती हैं धड़कन भी थम सी जाती है मैं खुद ही बनती मिटती हूँ , मैं तन्हां तन्हां फिरती हूँ  याद तुम्हें ही करती हूँ.... ..
  विश्वगुरु है ,विश्वगुरु थे ,विश्वगुरु कहलायेंगे!१! देश के ख़ातिर  हम ,हर मुश्किल से लड़ जाएंगे  चाहें रोके आधियाँ  हम उनसे भी भिड़ जाएंगे तूफ़ान रोके रास्ता हम उनसे भी टकरायेंगे विश्वगुरु है, विश्वगुरु थे,विश्वगुरु कहलायेंगे  !१! तुम कतरो सारे पंख हमारे  हम राफेल से लहरायेंगे  हम कतरा -कतरा समेट कर  फिर खड़े हो जायेंगे संघर्ष से सब छीन कर ,हम  फिर इतिहास रच जाएंगे  विश्वगुरु है, विश्वगुरु थे ,विश्वगुरु कहलायेंगे!१! ये मिट्टी पैदा करती नही बुज़दिल  हर मुश्किल से लड़ जायेंगे सीना तान कर हम  दुश्मन की गोलियों से भी लड़ जायेंगे शेर है ,शेर थे ,शेर ही कहलायेंगे  विश्वगुरु है ....................................!१! हर डाल पर ,हर पात पर शांति अपनाएंगे  देश पर नज़र जो डाली तुमने  कृष्ण का सुदर्शन चक्र भी चलायेंगे , चन्दन सी माटी है ये  मस्तक पर लगाएंगे  झूमकर खुशी में हम  केसरिया लहरायेंगे  विश्वगुरु है , ...............................!१! राम की भूमि है ये  धनुष भी उठायेंगे  सीमा पर नज़र जो फेकी  लंका भी उड़ाएँगे ,रावण दहन भी करायेंगे विश्वगुरु है ........................................!१! देश के खात